मैं हतप्रभ हूँ

मैं हतप्रभ हूँ
हालाँकि
तुम अक्सर कहती थीं
भूलो तो ऐसे भूलो
कि
कुछ भी याद न रहे/
तब भी
जब यह जाना कि तुम्हें....
मेरे ब्लॉग का
नाम तक याद नहीं
सहसा
यकीन नहीं कर पाया।
...... मैं समझना चाहता हूँ
तुम कैसे कर पाती हो
यह करतब ?
तुम्हारी देह में
वो कौन से रसायन हैं
जिनकी वज़ह से
अतीत
तनिक भी बैचेन नहीं करता।
सच मानो
मैं जीवन में
इससे अधिक हैरान
कभी नहीं हुआ।
तुम महसूस नहीं कर पाओगी
मैं अचम्भित हूँ
कभी समय मिले तो
यह ज़रूर बताना .....

जिन बेहद सजीव
स्पंदनो को मैंने जिया

उनके अभिनय में तुम्हें
इतना पारंगत किसने किया ?
मोहिनी विद्या में
कहाँ से निष्णात हुईं ?
कहाँ से पायी
बेसुध करने की निपुणता ?
और
किससे ली इतनी निर्ममता ?

यह भी बताना कि
क्या दांव पर लगाने के लिए
गोटियाँ कम पड़ गयीं थीं ?
....... मुझ गरीब ने
क्या बिगाड़ा था तुम्हारा ?

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