फितरत

बर्फ से सफ़ेद होते पहाड़
चांदी के कटोरे
जिनको लगते हों
उनको लगें
मुझे तो
विधवा स्त्री से लगते हैं।
गुलमर्ग या पत्नीटोप में
एक-दूसरे पर
बर्फ के गोले मारते
जोड़े नहीं जानते
बर्फ की फितरत।
काश जान पाते
कि
इसके नीचे
हर साल दफ़न होते हैं
कुंवारे सपने
सधवा उम्मीदें
उत्तप्त उन्माद
पराजित अवसाद
यह लील जाती है
जाने कितने
पिता/पति और बच्चे .....
और अंत में
जब पिघलती है
तो पता ही नहीं चलता
कि
ग्लेशियरों के रूप में
जो बह रहा है
वह इसका
अवसाद है
या
उन्माद !

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