मैं और मेरी तन्हाई

कितना सुकून होता है
जब ये पता हो
कि
अब नही आएगा कोई फोन
कोई एस एम् एस

कोई सपना
आप बेफिक्र होकर
मोबाईल को साइलेंट करिए
फोन का रिसीवर
बगल में रखिये
और सोचिये
कि
मैं और मेरी तन्हाई
हरी और हरिकथा की तरह
अनंत क्यों हैं ?

टिप्पणियाँ

  1. ब्लाग के नाम अतीत के विपरीत वर्तमान के कड़वे सच को उजागर करती आपकी कविता बड़ी संवेदनशीलता के साथ जिंदगी के सच से रू-ब-रू कराती है। कविता लेखन के लिए बधाई।

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