राजतिलक


तकलीफ तो हुई ...

लेकिन

और चारा ही क्या था ?

अगर

यह तय है कि

हम दोनों में

कोई एक ही खुश रह सकता है

तो सोचने की गुंजाईश ही नहीं ,

आओ

संभालो अपनी राजगद्दी

मैंने करवा दी है मुनादी

तुम्हारे राजतिलक की।

- रवीन्द्र



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