हाशिया


डस्टबिन की तरह होता है हाशिया

और

आप जानते हैं कि

बडे कहलाने वाले घरों में

ड्राइंग रूम से बेड रूम तक

रोज उगली जाने वाली तमाम गंदगी

( मसलन - कंडोम , बलगम , शक्तिवर्धक दवाओं के रैपर आदि )

डस्टबिन के बिना

नुमायाँ होकर

बदशक्ल कर सकते हैं

घरों की चमक - दमक ।


इसी तरह ---

जोड़ - बाकी , गुना - भाग

का रफ वर्क

हाशिये पर होता है

फ़िर

हाशिये पर लग जाता है क्रास।

सही और शफ्फाक इबारत

मुख्य पृष्ठ पर सहेज ली जाती है।


जिंदगी भी यही करती है

जब

गड़बड़ होने लगते हैं

रिश्तों के गुना - भाग

नहीं मिलता मीजान

तो

हाशिया ही काम आता है

फ़िर !

जिंदगी सहेज लेती है रिश्ते

और

डस्टबिन में

फेंक दिया जाता है हाशिया।


जब यही नियति है

तो शिकायत कैसी ?

- रवींद्र

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