पोर - पोर परस गयी पीर मार्च 27, 2009 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप नयनों के कोर - कोर नीर ! पोर - पोर परस गयी पीर ! आँगन , छत , दीवारें अब किसको मनुहारें ? बीत गया स्वप्न मधुर लोहित है भंगुर उर ! गात थकित मन मगहर आया नव संवत्सर !विगत हुई शुभदा ! चकित है समीर । पोर - पोर परस गयी पीर ! - अपर्णा खरे टिप्पणियाँ
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